आसमान का रंग आज पिघल कर गिरा है I
कुछ रंग जमा कर ,
दर्पण मे भर रहा हूँ मै I
कुछ एक आधा रंग ,
इधर भी लगा रहा हूँ मै I
कुछ अपना,
अपनो के लिये छोड़ रहा हूँ मै I
जो होता रंग खुशी का तो ,
रंग देता सारी दुनिया को I
अभी तो बेवजह ही ,
लोग अपना रंग छुपाते हैं I
उनको रंग नही दे सकता ,
पर दर्पण दिखा रहा हूँ मै I
कुछ अपना,
अपनो के लिये छोड़ रहा हूँ मै I